पिता ही दे रहे हैं अपने बच्चों को अस्थमा

Poor boy tired from chest coughing holding inhaler mask, Child closing his eyes while using the volumtic for breathing treatment, Tried Kid having asthma allergy using the asthma inhaler

विश्व अस्थमा दिवस पर विशेष

महिमा तिवारी
अक्सर लोग घर में सिगरेट पीते समय इस बात पर ध्यान नहीं देते कि इसका उनके बच्चे की सेहत पर क्या असर पड़ेगा। उन्हें लगता है कि सिगरेट पीने से उन्हें ही नुकसान होगा लेकिन डॉक्टरों की मानें तो सिगरेट का धुंआ जिसे पैसिव स्मोकिंग भी कहते हैं यह बच्चे के फेफड़े को इस कदर नुकसान पहुंचा सकता है कि उसे अस्थमा व सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज)जैसी गम्भीर बीमारी हो सकती है।
विश्व अस्थमा दिवस (6 मई) से पूर्व इस बीमारी की गम्भीरता पर चर्चा करते हुए केजीएमयू के पल्मोनरी विभाग के प्रो. अजय कुमार वर्मा ने बताया कि सेकंड-हैंड सिगरेट स्मोक यानी दूसरे लोगों द्वारा सिगरेट पीने पर निकलने वाला धुआं बचपन में होने वाले अस्थमा की एक महत्वपूर्ण वजह है। धूम्रपान न करने वाले लोगों की तुलना में धूम्रपान करने वाले के बच्चों में अस्थमा होने की संभावना अधिक होती है। सिगरेट या बीड़ी का धुंआ सीधे बच्चे के फेफड़ों में पहुंचता है और इससे बच्चे में अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस व सांस की अन्य गम्भीर बीमारियां हो सकती है। इतना ही नहीं सिगरेट के धुएं की वजह से बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इसके कारण उन्हें संक्रामक बीमारियों का खतरा कई गुणा बढ़ता है। वह बताते हैं कि जन्म के बाद 12 साल तक की उम्र बच्चे की वह अवस्था होती है, जब उसका फेफड़ा विकसित हो रहा होता है। इस स्थिति में यदि बच्चा अधिक समय तक जहरीले धुएं या अन्य किसी प्रकार के प्रदूषण के सम्पर्क में रहता है तो फेफड़े के विकसित होने की प्रक्रिया बाधित होने लगती है और कई बार फेफड़े खराब भी होने लगते हैं। उनका कहना है कि ओपीडी में पहले जहां अधिकतर अस्थमा से पीडि़त वहीं बच्चे आते थे जिनमें अनुवांशिक कारणों से यह बीमारी होती थी। वहीं प्रदूषण व पैसिव स्मोकिंग के चलते करीब 25 प्रतिशत बच्चों मेें यह बीमारी बढ़ गयी है। बच्चों में इस बीमारी के लक्षणों की पहचान करना कठिन होता है। नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में अस्थमा के प्रमुख लक्षण जैसे घरघराहट और खांसी अन्य बीमारियों के कारण भी होते हैं। इसके अलावा, कोई व्यक्ति कितनी अच्छी तरह या सामान्य रूप से सांस ले रहा है, यह पता करने के लिए उपयोग किए जाने वाले डायग्नोस्टिक टेस्ट का इस्तेमाल 5 साल से कम उम्र के बच्चों में आसानी से या सटीक तरीके से नहीं किया जा सकता है।

इन लक्षणों पर दें ध्यान

अस्थमा से पीडि़त बच्चों को अक्सर खांसी और घरघराहट होती है। साथ ही सीने में जकडऩ और सांस लेने में तकलीफ का भी एहसास होता है। ऐसे कुछ लक्षण हैं जो संकेत देते हैं कि बच्चा अस्थमा से ग्रसित हो सकता है जैसे कि बिना किसी रुकावट के सांस लेने में कठिनाई या सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट, सांस छोड़ते समय तेज आवाज, सीटी जैसी आवाज और बीच-बीच में कुछ समय के लिए खांसी और घरघराहट होना। वहीं यदि कोई बच्चा खुले वातावरण में सांस लेने के लिए हांफ रहा है, या फिर इतनी जोर से सांस ले रहा है कि पेट पसलियों के नीचे दब गया है या सांस लेने के कारण उसे बोलने में कठिनाई हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए। ये गंभीर अस्थमा के लक्षण हैं, जो जानलेवा हो सकते हैं।

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