
- संजय गांधी पीजीआई में आज उत्तर प्रदेश परफ्यूशनिस्ट सोसायटी के तत्वावधान में परफ्यूशनिस्ट दिवस मनाया गया
लखनऊ
दिल की सर्जरी के दौरान अक्सर दिल को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ता है। इस समय हृदय और फेफड़ों का कार्य एक विशेष मशीन — हार्ट-लंग मशीन — से लिया जाता है। दिल को बंद करने और मशीन से रक्त प्रवाह शुरू करने के बीच एक सेकंड की भी चूक मरीज की जान के लिए खतरा बन सकती है। यदि दिल से रक्त प्रवाह एक सेकेंड के लिए भी रुक जाए, तो शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं। इस नाजुक प्रक्रिया में दिल और मशीन के बीच समन्वय स्थापित करने वाले विशेषज्ञ को परफ्यूशनिस्ट (Perfusionist) कहा जाता है।
संजय गांधी पीजीआई (SGPGI) में आज उत्तर प्रदेश परफ्यूशनिस्ट सोसायटी के तत्वावधान में परफ्यूशनिस्ट दिवस मनाया गया।इस अवसर पर आयोजित अकादमिक सत्र में सोसाइटी के संरक्षक एस.बी. सिंह ने बताया कि ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान परफ्यूशनिस्ट का कार्य अत्यंत जटिल और संवेदनशील होता है। जब सर्जरी के दौरान हृदय और फेफड़े बंद होते हैं, तब शरीर के प्रत्येक अंग में रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाने का जिम्मा परफ्यूशनिस्ट का होता है। मैक्स अस्पताल से परफ्यूशनिस्ट के.एन. सिंह ने बताया कि परफ्यूशनिस्ट भले ही पर्दे के पीछे काम करता है, लेकिन ओपन हार्ट सर्जरी में उसकी भूमिका अनिवार्य होती है।
केजीएमयू (KGMU) से मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि परफ्यूशनिस्ट के बिना ओपन हार्ट सर्जरी की कल्पना भी नहीं की जा सकती।एसजीपीजीआई के विनय प्रताप सिंह ने बताया कि परफ्यूशनिस्ट की एक सेकंड के सौवें हिस्से की भी गलती मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इससे ब्रेन डेड, किडनी फेल्योर जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।आरएमएल के परफ्यूशनिस्ट शैलेंद्र और सैफई के निर्मल मिड्डे ने परफ्यूशनिस्ट की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह विशेषज्ञ फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी, होमोडायने मिक्स और बायोइंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में दक्ष होता है।
कई पदनामों की तरह “दिल रखवाला” नौकरी पदनाम की आवश्यकता है। डॉक्टरों के समान वेतन दिया जाना चाहिए।