नई दिल्ली: जूम ऐप के जरिए शादी हुई। ऑन लाइन शादी और ऑनलाइन बारात। विश्वास भले न हो, लेकिन कोविड महामारी के दौरान जीवन की सबसे बड़ी सचाई है, जिसने जीवन को ऑनलाइन व इंटरनेट से इस कदर जोड़ दिया है, इसके बिना जीवन ही संभव नहीं है। चाइनीज एेप की श्रृंखला में शामिल जूम ऐप पर देश की पहली और संभवत: आखिरी शादी हुई। 30 जून को ऑनलाइन विवाह संपन्न हुआ और एक जुलाई की शाम जूम सहित सभी चाइनीज एप्प पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। परिवार ने इस ऐतिहासिक पल का तीन घंटे का वीडियो मीडिया के साथ साझा किया है। लॉकडॉउन की विकट परिस्थितियों की वजह से मुंबई स्थित एक परिवार ने ऑनलाइन शादी आयोजित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विवाह वाशी के अबोट होटल में निर्धारित था किंतु परिवार में कोरोना पॉजिटिव आने की वजह से प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल पाई। ऐसे में दुल्हन के पिताजी जो स्वयं डॉक्टर है उन्होंने सूझबूझ का परिचय देते हुए
इस विवाह को ऑनलाइन करने का तुरंत निर्णय लिया।
लड़की के पिता ने दूल्हे के पिता श्री गणपत जी से बातचीत करके इस विपदा की घड़ी को उत्सव में तब्दील करने का सोच लिया। डॉक्टर साहब के साडू भाई श्री सुरेश जी रांका ने पंडित दिनेश शास्त्री से इस विवाह बाबत चर्चा की गई। पंडित जी ने सुझाव दिया कि विधि विधान में स्वीकृत तरीके से इस विवाह को जहां दूल्हा और दुल्हन दूर दूर रहेंगे, विवाह सम्पन्न कर सकते है। प्राचीन काल मे जब राजा, सिपाही, व्यापारी या कोई भी सामान्य जन जब युद्ध वश या व्यापार वश वह अपरिहार्य कारणवश विवाह की निश्तिच तिथि पर गंतव्य स्थान पर नही पहुंच सकता था तो दूल्हे के प्रति स्वरूप खड़ग, तलवार या छड़ी को भिजवाया जाता था जिसके साथ दुल्हन सात फेरे लेती थी। सदियों पुरानी इस मान्य परंपरा को कोठारी परिवार व सिंघवी परिवार ने फिर से पुनर्जीवित करने का एक सफल प्रयास किया। इस ऐतिहासिक विवाह के साक्षी ऑनलाइन लगभग 400 लोग बने।
भीलवाड़ा से पंडित दिनेश जी शास्त्री ने विधि विधान द्वारा मंगल मंत्रोच्चार से विवाह सम्पन्न करवाया। वर मोहित चेम्बूर से और वधू हर्षिता ने नेरुल से अपने नए जीवन की शुरुआत ऑनलाइन अपने परिवार की उपस्थिति में की।
पारिवारिक जन की शुभकामनाओं के साथ नए इतिहास और नई यादों के साथ विवाह समारोह का समापन हुआ।
सलिल जी लोढ़ा और श्रीमती यशा विजय जी हिरन ने इस विवाह का सफल संचालन किया। मामाजी श्री राजेन्द्र जी कुमठ पंडित जी के सहायक बने। दादाजी मदनलाल जी, मामाजी निर्मल जी कुमठ, फूफाजी मदन जी दुगड़, दादाजी शांतिलाल जी, चाचाजी डॉ कैलाश, जयंतीलाल और चाची करूणा कोठारी, मामाजी प्रवीण जी खरवड़, मासा जी सुरेश जी व अन्य ने वधु पक्ष से और नानासा तखतमल जी, फुफासा डॉ संपत जी एवं डॉ मनीष जी तातेड़, देवेन्द्र जी बोहरा, उअ कमलेश जी धाकड़ व अन्य ने वर पक्ष की और से डिजिटल/ प्रत्यक्ष रूप से विवाह में उपस्थित होकर अपनी शुभकामनाएं नव विवाहित दंपति को दी। विशेष बात यह रही कि इस विवाह में प्रशासन द्वारा निर्धारित गाइड लाइन का पूरी तरह पालन किया गया और कही भी 7 से 8 लोगो से ज्यादा को इकठ्ठा हो कर ज़ूम में शामिल होने की भी इजाज़त नही दी गयी। दोनों परिवारों में भी 10 से कम पारिवारिक स्नेहजन ही शामिल हुए ।