डाइट को लेकर कुछ मिथक -काब्रोहाइड्रेड की जगह हाई प्रोटीन डाइट खाकर वजन को कम किया जा सकता है- जबकि विशेषज्ञों की अगर मानें तो खाने हाई प्रोटीन चीजें जैसे राजमा, चना व न्यूट्रिला आदि अधिक मात्रा में शामिल करने से लिवर व किडनी पर अधिक दवाब बढ़ता है। यह स्थिति सही नहीं है। लिवर रक्त की आर्पूित करर्ता है तो किडनी रक्त को शुद्ध करती है, खून में अधिक प्रोटीन से शुद्धीकरण के लिए हृदय को अधिक पंपिंग की जरूरत होती है। हाई प्रोटीन फूड की जगह फाइबर रक्त में आसानी से मिलकर शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त के संचार को सामान्य करता है। संतुलित आहार में 50-65 प्रतिशत काब्रोहाइड्रेड, 20-30 प्रतिशत प्रोटीन व 15-20 प्रतिशत वसा को जगह दी गई है। -अधिक वसा हमेशा नहीं बढ़ाता वजन- वसा को लेकर लोगों में यह भ्रांति है कि हमेशा वसा का सेवन मोटापा बढ़ता है। जबकि अन्य पौष्टिक तत्वों की तरह वसा की भी शरीर को उनती ही जरूरत है। नियमित रूप से कम वसा युक्त खाना शरीर को मिलने वाली उर्जा की नियमित क्षति होती रहती है। शरीर की कुल एनर्जी या उर्जा का 40 प्रतिशत हिस्सा वसा से प्राप्त होता है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक व्यस्त व्यक्ति के लिए एक दिन में 40 से 50 ग्राम वसा का सेवन जरूरी बताया गया है, जिसके जरिए 1500 कैलोरी प्राप्त की जा सकती है। शरीर में वसा को अवशोषित करने वाले विटामिन जैसे विटामिन ए, बी, ई व के, के लिए भी वसा को भोजन में शामिल करना जरूरी है। -जरूरी है कैलोरी व कार्बोहाइडे्रड का संतुलन- किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक गतिविधि में कैलोरी की क्षति होती है। अधिकतर लोग कैलोरी क्षति पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन शरीर की जरूरी मैटाबॉलिक क्रियाओं के अनुसार उसें संतुलित कैसे रखा जाएगा, इसको नजरअंदाज किया जाता है, साधारण व्यक्त की दो से तीन क्षति के मानिसक काम में 50 से 60 कैलोरी बर्न होती है। जबकि दो से तीन मिनट खड़े होने या चलने में 3 से 5 कैलोरी बर्न हो जाती है। कैलोरी का काब्रोहाइड्रेड से सीधा रिश्ता है, कितने काब्रोहाइड्रेड का सेवन एक दिन में करना है इसका निर्धारण शारीरिक व मानसिक गतिविधि के आधार पर किया जाना चाहिए। डाइड के प्रति सजग 60 प्रतिशत लोग काब्रोहाइड्रेड को गलत रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिसमें चीनी और स्टार्च आलू के रूप में किया गया काब्रोहाइड्रेड का सेवन अधिक सही नहीं माना गया है।