ब्रेस्ट कैंसर में भी योग का पॉजिटिव इफेक्ट

Woman meditating on beach

मोनिका सिंह: योग से ब्रेस्ट कैंसर के एडवांस्ड स्टेज के बावजूद 20 पर्सेंट ज्यादा लाइफ बढ़ सकती है। एम्स और आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। इस स्टडी में पाया गया कि जिन मरीजों को इलाज के साथ-साथ सुदर्शन क्रिया और प्राणायाम कराया गया, उनमें सर्वाइवल रेट 20 पर्सेंट ज्यादा पाया गया, क्वॉलिटी ऑफ लाइफ बेहतर हुई, दर्द से बचने के लिए मॉरफीन का डोज कम हुआ। इनका कॉर्टीसोल केमिकल भी कम हुआ, यानी कि ट्यूमर भी कम हुआ।

आईसीएमआर की साइंटिस्ट नीता कुमार के अनुसार इस स्टडी में शामिल किए गए सभी मरीज ब्रेस्ट कैंसर के एडवांस स्टेज के थे, जिनकी सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी तक हो चुकी थी। इन्हें दर्द से बचाने के लिए मॉरफीन दिया जा रहा था। इस स्टडी में रेंडमली 88 लोगों को शामिल किया गया और फिर इनको दो ग्रुप में बांटा गया। एक ग्रुप में 50 मरीजों को रखा गया, जिन्हें दर्द की दवा के साथ काउंसलिंग दी जाती थी। दूसरे ग्रुप में 38 मरीज थीं, जिन्हें दर्द की दवा, काउंसलिंग के अलावा यौगिक क्रियाएं कराई गईं।

डॉक्टर नीता ने बताया कि जिन्हें योग करने की सलाह दी गई थी, उन्हें तीन दिन की ट्रेनिंग दी गई। इसमें उन्हें प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया की ट्रेनिंग दी गई और रोजाना 20 मिनट तक के लिए नियमित रूप से योग करने की सलाह दी गई। हमने तीन महीने के बाद सभी महिला मरीज का ब्लड सैंपल लिया और फिर छह महीने के बाद इनका ब्लड सैंपल लिया। छह महीने के अंत तक जो केवल दवाई पर थे, उनका सर्वाइवल रेट 46 पर्सेंट पाया गया, जबकि जिन्हें दवा के साथ योग कराया गया था उनमें सर्वाइवल रेट 65.8 पर्सेंट पाया गया।

उन्होंने कहा कि आयुष के फंड से यह रिसर्च किया गया। इस रिसर्च में योग का महत्व का असर देखा गया। सर्वाइवल रेट के अलावा इनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर हुई, इनका पेन कम हो गया। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि जो लोग योग कर रहे थे वे खुश दिख रहे थे, लग नहीं रहा था कि वे इतनी बड़ी बीमारी से पीड़ित हैं, जबकि दूसरी ओर जो योग नहीं कर रहे थे, वे चितिंत और परेशान दिख रहे थे। उन्हें ज्यादा पेन हो रहा था। उन्होंने कहा कि यह स्टडी छोटी थी। इस पर बड़े लेवल पर स्टडी की जरूरत है। हमने फॉलोअप में देखा कि 80 पर्सेंट मरीज रेगुलर योग नहीं कर रहे थे, अगर रेगुलर करते तो और फायदा हो सकता था। इसलिए इस पर बड़े लेवल और लंबे समय तक स्टडी की जाए तो योग के इफेक्ट का और बेहतर रिजल्ट देखा जा सकता है।

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