नई दिल्ली: ड्रिंक्स को लेकर बाजार में उपलब्ध विकल्प का दायरा अब बढ़ गया है। साफ्ट ड्रिंक के अलावा डायट, सोया ड्रिंक और प्रोबायोटिक ड्रिंक ऐसे विकल्प हैं, जो सेहत को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं। इन सबके बीच प्रोबायोटिक ड्रिंक के बारे में लोगों की जानकारी अब भी कम है।
बीमारियों से लड़ने के लिए हमारे शरीर में अच्छे और बुरे दोनों तरह के बैक्टीरिया मौजूद हैं, लेकिन मामूली दर्द पर एंटीबायोटिक दवाएं खाने की आदत, काम का बोझ, तनाव, जंक फूड और बढ़ती उम्र अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ देती है। यह वजह है कि थोड़ा भी अस्वास्थ्यकर खाना तुरंत पेट में गड़बड़ी पैदा कर देता है। अच्छे बैक्टीरिया को बचाने के लिए आजकल प्रोबायोटिक्स ड्रिंक्स का प्रयोग बढ़ गया है। जिसमें लाखों की संख्या में मौजूद सजीव बैक्टीरिया पेट में दिक्कत पैदा करने वाले बुरे बैक्टीरिया से लड़ते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी कहना है कि नियमित प्रोबायोटिक इस्तेमाल करने वाले लोग ऐसे लोगों की अपेक्षा कम बीमार पड़ते हैं जो प्रोबायोटिक नहीं लेते। दरअसल पेट की तकलीफ की सारी परेशानियां गट फ्लोरा से जुड़ी होती हैं।
क्या है गट फ्लोरा
हमारे अमाश्य में पूरे शरीर के विभिन्न अंगों में उपस्थित माइक्रोआर्गेनिज्म की अपेक्षा 100 लाख गुना अधिक माइक्रोआर्गेनिज्म होते हैं, जिनका वजन एक किलो से भी अधिक होता है। इसे ही गट फ्लोरा कहा जाता है, यही बैक्टीरिया बड़ी और छोटी आंत में छिपकर बैठकर पाचन संबंधी क्रिया को नियंत्रित करते हैं। पाचन क्रिया के माध्यम से गट फ्लोरा में मौजूद बैक्टीरिया विटामिन बी और के को बनाते हैं, जो रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में भी सहायक है। गट बैक्टीरिया ही पेट के बुरे बैक्टीरिया से लड़ते हैं, और बुरे बैक्टीरिया को खत्म को पाचन क्रिया को स्वस्थ रखते हैं। पाचन क्रिया की यह तो रही सामान्य बातें, लेकिन खाना खाने की अनियमित आदतें, अधिक जंक फूड और एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक इस्तेमाल सामान्य गट बैक्टीरिया की प्रक्रिया को बाधित करके बुरे बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका देते हैं। एक सामान्य व्यक्ति के अमाश्य में पाचन क्रिया को सामान्य रखने के लिए 400 तरह के अच्छे बैक्टीरिया होने चाहिए।
क्या हैं प्रोबायोटिक्स
फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2002 में पहली बार प्रोबायोटिक्स को परिभाषित किया। जिसके अनुसार स्वस्थ रहने के लिए माइक्रोआर्गेनिज्म के रूप में लिया गए सजीव बैक्टीरिया प्रोबायोटिक ड्रिंक है। यह हानिरहित नॉन पैथाजेनिक बैक्टीरिया और यीट्स कहे जा सकते हैं, प्रोबायोटिक में उपस्थित सजीव बैक्टीरिया के स्टेन खाने में पचाने के साथ डायरिया, कब्ज, डिहाइडे्रशन आदि से बचाते हैं। याकुल्ट प्रोबायोटिक लाइफ के सहायक जनरल मैनेजर और प्लांट ऑपरेशन विपिन बायला कहते हैं कि प्रोबायोटिक्स में क्योंकि सजीव बैक्टीरिया ड्रिंक है, इसलिए लैक्टोबेसाइलस बैक्टीरिया के कल्चर करने के बाद उन्हें 10 डिग्री सेंटिग्रेड के तापामन में संरक्षित कर ग्राहक तक पहुंचाना जरूरी है। इसके लिए प्लांट में कड़े मानकों का पालन करना पड़ता है। प्रोबायोटिक ड्रिंक के एक पैक में 6.5 लाख सजीव बैक्टीरिया होते हैं, जिन्हें फ्रिजर में 40 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
: प्रोबायोटिक्स की दुविधाओं से रहें दूर, यदि कोई व्यक्ति शराब पीता है तो क्या वह प्रोबायोटिक नहीं ले सकता
किसी भी अन्य डेयरी उत्पाद की तरह प्रोबायोटिक्स भी संरक्षित दूध का एक विकल्प है। नियमित शराब का सेवन करने वाले भी इसका प्रयोग कर सकते हैं, बशर्ते दोनों को एक साथ न लिया जाए।
: प्रोबायोटिक्स लेने से पहले क्या डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए
दही और फर्मेंटेडेड दूध के रूप में प्रोबायोटिक साधारण बाजार में उपलब्ध है, जिसे खाने के अन्य डेयरी उत्पाद के रूप में ही लिया जाता है, इसलिए प्रोबायोटिक लेने से पहले चिकित्सीय सलाह की जरूरत नहीं है।
:कौन नहीं ले सकता प्रोबायोटिक
डायबिटिज के मरीज और गर्भवती महिला या अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल कर रहे लोगों को प्रोबायोटिक लेने से पहले चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
: क्या प्रोबायोटिक की अधिक मात्रा नुकसान दे सकती है
किसी भी प्रोबायोटिक में 10 लाख से 10 करोड़ तक सजीव बैक्टीरिया के स्टेन होते हैं, यदि किसी ड्र्रिंक में निर्धारित मात्रा से कम या अधिक बैक