स्वास्थ्य बजट कम हुआ, Cancer की दवाएं हुईं सस्ती

नई दिल्ली

मंगलवार को वित्तमंत्री श्रीमति निर्मला सीतारमण द्वारा आम बजट 2024-25 पेश किया गया। स्वास्थय विशेषज्ञों की उम्मीद के अनुसार हालांकि कुल स्वास्थ्य सेवा खर्च बढ़ाया नहीं गया है, इसके साथ ही स्वास्थय पर वार्षिक व्यय भी पहले से कम कर दिया गया है। लेकिन कैंसर मरीजों पर महंगी दवाएं और जांच का बोझ कम हो पाएगा। बजट में कैंसर की दवाओं को सीमा शुल्क टैक्स में छूट दी गई है। सभी आयातित जीवन रक्षक दवाएं पर सीमा शुल्क हटने से यह अपेक्षाकृत सस्ती हो जाएगीं। इसके साथ ही प्रमुख जांच सेवाएं की ढांचागत निर्माण कार्यक्रम के बेसिक कस्टम्स ड्यूटी में बदलाव किया गया है, जिससे कुछ जांचे भी सस्ती हो जाएगीं।

बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए सरगंगाराम अस्पताल के ऑनकोलॉजिस्ट डॉ़ श्याम अग्रवाल ने कहा कि कैंसर की जीवन रक्षक दवाओं को सस्ता किया गया है, इसके सीमा शुल्क में कटौती होने से अब मरीजों को इन दवाओं पर आधे सक कम पैसे खर्च करने होंगे, जोकि एक स्वागत योग्य कदम है। फोर्टिस हेल्थ केयर के एमडी और सीईअओ डॉ आशुतोष रघुवंशी ने कहा कि बजट में की गईं घोषणएं सरकार की एक संतुलित एप्रोच को दर्शाती है, कौशल विकास और रोजगार के लिए इंटर्नशिप जैसे निर्णय बेहतर हैं, हालांकि स्वास्थ्य क्षेत्र को उम्मीद को अनुसार नहीं दिया गया, विशेषज्ञ जहां कुल जीडीपी का 2.5 प्रतिशत बजट पर व्यय करने की लंबे समय से मांग कर रहा था, इस वार्षिक बजट में स्वास्थय व्यय 1.9 प्रतिशत से घटाकर 1.85 प्रतिशत कर दिया गया है।

 

. इन दवाओं का उपयोग विशेष रूप से किस लिए किया जाता है?

* ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन: यह एक एंटीबॉडी-ड्रग कंजुगेट है जिसका उपयोग मुख्य रूप से HER2-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है जो शरीर के अन्य भागों (मेटास्टेटिक) में फैल गया है। इसका उपयोग अन्य प्रकार के कैंसर, जैसे गैस्ट्रिक कैंसर में भी किया जा सकता है।

* ओसिमर्टिनिब: यह एक लक्षित थेरेपी है जिसका उपयोग EGFR जीन में विशिष्ट उत्परिवर्तन के साथ नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) के इलाज के लिए किया जाता है। यह उन कैंसर के खिलाफ विशेष रूप से प्रभावी है, जिन्होंने EGFR अवरोधकों की पिछली पीढ़ियों के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया है।

* डुरवालुमैब: यह एक इम्यूनोथेरेपी दवा है जो PD-L1 प्रोटीन को अवरुद्ध करके काम करती है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने में मदद मिलती है। इसका उपयोग नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) और यूरोथेलियल कार्सिनोमा (मूत्राशय कैंसर) के इलाज के लिए किया जाता है।

 

लागत में कितनी कमी आएगी?

लागत में सटीक कमी मौजूदा सीमा शुल्क दरों और आयात करों और रसद जैसी अन्य संबंधित लागतों पर निर्भर करेगी। मूल सीमा शुल्क से छूट संभावित रूप से कीमत को 10-20% तक कम कर सकती है, जिससे ये उपचार रोगियों के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे। हालांकि, सटीक आंकड़ों के लिए विस्तृत मूल्य निर्धारण और शुल्क संरचना विश्लेषण की आवश्यकता होगी।

सीमा शुल्क हटाने से कैसे मदद मिलेगी?

इन दवाओं को मूल सीमा शुल्क से छूट देने से उनकी आयात लागत कम हो जाएगी, जिससे वे रोगियों के लिए अधिक किफायती हो जाएँगी। इससे उन्नत कैंसर उपचारों तक पहुँच में सुधार हो सकता है, रोगियों और उनके परिवारों पर वित्तीय बोझ कम हो सकता है, और संभावित रूप से अधिक रोगियों को इन प्रभावी उपचारों से लाभान्वित करके उपचार के परिणामों में सुधार हो सकता है।

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