महिमा तिवारी
विश्व मधुमेह दिवस पर विशेष (World Diabetics day)
गर्भावस्था के दौरान करीब एक तिहाई महिलाएं डायबिटिज यानि शुगर की चपेट में आ जाती है। इसमें में कई महिलाएं पहले से ही इससे ग्रसित होती है और कुछ को प्रेगनेंसी के दौरान यह समस्या हो जाती है। डॉॅक्टरों की सलाह है कि यदि प्रेगनेंसी की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले डायबिटिज को कन्ट्रोल करें। अनियंत्रित शुगर से गर्भस्थ शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट हो सकता है।
तेजी से बढ़ रही इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इस बारे में जानकारी देते हुए केजीएमयू के मेडिसीन विभाग के प्रो. कौसर उस्मान ने बताया कि बीते कुछ सालों में इस बीमारी का ग्राफ बढ़ा है। बच्चों से लेकर महिलाएं तक इसकी चपेट में आ रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इस पर काबू पाया जाये। उनका कहना है कि गर्भावस्था में जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या अधिकतर महिलाओं को होती जाती है। पहले तो यह बीमारी प्रेगनेंसी के बाद अपने आप ठीक हो जाती थी लेकिन अब करीब एक तिहाई महिलाओं की शुगर गर्भावस्था के बाद भी अनियंत्रित रहती है। वहीं कई महिलाएं जो पहले से ही इसी जद में हैं, उन्हें प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले विशेष सावधानी बरते की जरूरत है। अनियंत्रित शुगर न सिर्फ महिलाओं को नुकसान पहुंचा सकती है बल्कि गर्भस्थ शिशु में कई प्रकार के विकार हो सकते हैं। वह कहते हैं कि गर्भावस्था के शुरूआती तीन माह बेहद अहम होते हैं। इस दौरान सबसे पहले नर्वस सिस्टम का विकास ही होता है। न्यूरल ट्यूब के छोटे ऊतक से नर्वस सिस्टम के अंग बनने लगते हैं जिसमें मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और नसें शामिल हैं। प्रेगनेंसी के दो हफ्तों के अंदर न्यूरल ट्यूब बन जाती है। इस दौरान यदि गर्भवती की शुगर लेवल अधिक होता है तो इस न्यूरल ट्यूब में असामान्यता आने लगती है जिसकी वजह से शिशु के मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और नसों के विकास में गड़बड़ी होने लगती है। इन महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करने वाले ऐसे विकारों को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के नाम से जाना जाता है।
वहीं इससे प्री मेच्योर डिलिवरी यानि समय से पहले प्रसव व गर्भपात का भी खतरा हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि गर्भधारण करने के फौरन बाद डायिबिटिज की जांच अवश्य करायें और यदि दवा की जरूरत हो तो दवा या इंसुलिन लें। पे्रगनेंसी में कई महिलाओं की शुगर इतनी बढ़ जाती है कि उनकी दवा की डोज बढ़ानी पड़ती है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। प्रेगनेंसी के बाद शुगर कन्ट्रोल होने पर दवा की खुराक कम हो जाती है। इस पर ध्यान देना जरूरी है कि हाई ब्लड शुगर का असर शिशु पर भी पड़ता है क्योंकि बच्चे को पोषण खून के जरिए ही मिलता है।