New Delhi
भारत में न्यूट्रासियूटिक्लस (Nutraceuticals) प्रीवेंटिव हेल्थ या निवारक स्वास्थय उत्पादों के बाजार में पर्याप्त संभावनाएं हैं। एसोचैम द्वारा आयोजित दसवें न्यूट्रासियूटिकल्स समिट में इस बात पर जोर दिया गया कि न्यूट्रासियूटिकल्स उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए इसके बाजार को किस प्रकार मजबूत किया जा सकता है। सात प्रतिशत की वृद्धि की दर वाले न्यूट्रासियूटिकल्स के बाजार में भारत 19 प्रतिशत की दर से तरक्की कर रहा है। भविष्य में इस क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं, लेकिन फार्मासियुटिकल्स और न्यूट्रासियूटिकल्स के बीच तालमेल बनाते हुए बाजार की संभावनाओं को देखा जाना चाहिए। फार्मा जहां दवाओं के बाजार का प्रतिनिधित्व करती हैं, वहीं न्यूट्रासियूटिकल्स विटामिन या पोषण उत्पादों का बाजार है। निश्चित रूप से भविष्य की स्वास्थ्य सेवाओं में निवारक स्वास्थ्य या प्रीवेंटिव हेल्थ को अधिक महत्व दिया जाएगा।
शेपिंग द फ्यूचर ऑफ प्रीवेंटिव हेल्थकेयर विषय पर आयोजित दसवें न्यूट्रासियूटिकल्स समित में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सलाहकार डॉ श्रीनिवास राव चिंता ने न्यूट्रासियूटिकल्स उत्पादों के बाजार और नियामक प्राधिकरणों के महत्व के बारे में बताया। डॉ श्रीनिवास ने कहा कि आयुर्वेदा में होलेस्टिक एप्रोच को अपनाते हुए आहार, व्यवहार और विचार पर काम किया जाता है। आयुर्वेद की स्वस्थ्य दिनचर्या को न्यूट्रासियूटिकल्स की सहायता से अपनाया जाता है जो काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं। एफएसएसएआई के सहयोग से आयुष मंत्रालय द्वारा आयुष आहार को लांच किया गया है, जिसके तहत आयुर्वेदिक न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स को स्वीकृति दी गई है जो इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि इन्हें पारंपरिक आयुर्वेदिक पद्धतियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नियमक पहलूओं को उन्नत बनाने पर जोर दिया, जिससे आयुर्वेद में न्यूट्रासियूटिकल्स पर लोगों को विश्वास बना रहे। उन्होंने कहा कि इस बावत लाइसेंसिंग एक प्रमुख कारक है, जिसे न्यूट्रासियूटिकल्स के बढ़ते बाजार के बीच नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
विकासशील देशों में न्यूट्रासियूटिकल्स के बढ़ते महत्व पर जोर देते हुए तिरूपति ग्रुप के आरएंड डी विंग और मार्केटिंग प्रमुख डॉ प्रीथिपाल सिंह ने कहा कि फार्मासियुटिकल्स और न्यूट्रासियूटिकल्स की एक साथ तुलना नहीं की जा सकती, दोनों का अपना अलग महत्व है। फार्मासियुटिकल्स यानि दवाओं का रोल बीमार होने के बाद शुरू होता है, वहीं न्यूट्रासियूटिकल्स का महत्व बीमार पड़ने से पहले का होता है यह प्रीवेंटिव हेल्थ या निवारक स्वास्थ्य देखभाल का अहम पहलू है। न्यूट्रासियूटिकल्स के एक बाजार विश्लेषण के अनुसार इस उद्योग ने बीते कई वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है। न्यूट्रासियूटिकल्स का वैश्विक बाजार साल प्रतिशत की सीएजीआर पर तेजी से बढ़ रहा है, जबकि भारतीय बाजार 19 प्रतिशत की प्रभावशाली दर से बढ़ रहा है। जो सीधे तौर पर इस बात को दर्शाता है कि प्रीवेंटिव हेल्थ में भारतीयों का रूझान बढ़ रहा है। एच एंड एच हेल्थ केयर एंड कॉस्मेटिक प्राइवेंट लिमिटेड के संचालन और नियामक मामले के उपाध्यक्ष डॉ नरेन्द्र देव त्रिपाठी ने उद्योग की प्रमुख चुनौतियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में नकली उत्पादों से निपटने, मानकीकरण सुनिश्चित करने और गुणवत्ता नियंत्रण उपायों को तत्काल मजबूत करने की आवश्यकता है।
जेओन हेल्थकेयर लिमिटेड के डॉ विवेक श्रीवास्ताव ने प्रीवेंटिव हेल्थकेयर में न्यूट्रासियूटिकल्स के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वस्थ्य दिनचर्या और बीमारियों से बयाव में न्यूट्रासियूटिकल्स का महत्व बढ़ रहा है, बीमार होने से पहले की स्वास्थ्य देखभाल के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है, अब लोग पर्सनलाइज्ड फिटनेस पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने पर्सनल स्वास्थ्य पैरामीटर के अनुरूप दस हजार कदम रोज चलने की जगह फलेक्सिबल लाइफ स्टाइल और वर्कआउट प्लान अपनाने पर जोर दिया।
एसोचैम नेशनल वेलनेस काउंसिल और कंट्री हेड श्री संदीप वर्मा ने उपभोक्ता स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता पर जोर देते हुए कहा कि न्यूट्रासियूटिकल्स उद्योग तेजी से विकास कर रहा है। व्यक्तिगत पोषण में प्रगति और एआई संचालित न्यूट्रासियूटिकल्स सिफारिशें और न्यूट्रासियूटिकल्स का उद्योग के देश में बेहतर कारोबार करने की उम्मीद है।