- पीजीआई ने स्टेमी केयर प्रोग्राम किया लॉन्च
- एसटीईएमआई से होने वाली मौतों को रोकने की दिशा में ऐतिहासिक कदम
उत्तर प्रदेश सरकार ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), लखनऊ के सहयोग से ‘यूपी स्टेमी (एस-टी एलीवेशन मायोकार्डियल इन्फार्क्शन) केयर प्रोग्राम की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम दिल के दौरे के गंभीरतम रूपों में से एक एसटीईएमआई से होने वाली मौतों को कम करने की दिशा में एक क्रांतिकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल है।
हृदय रोग बना मौत का बड़ा कारण
भारत में कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ (कार्डियो-वैस्कुलर रोग) से होने वाली मृत्यु दर 28% से अधिक है। कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ (सी.एच.डी.) के मामले भारत में तेजी से बढ़े हैं और अब यह युवाओं में भी बड़ी समस्या बन चुकी है। कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (सी.ए.डी.) भारतीयों को लगभग 10 साल पहले प्रभावित कर रही है, जिससे 40 से कम उम्र के व्यक्तियों में भी 10% मौतें हो रही हैं। उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 5 लाख एसटीईएमआई के मामले दर्ज होते हैं।
चुनौतियां और समाधान
दिल का दौरा होने पर अधिकतर लोग प्रारंभिक चेतावनी संकेतों को नहीं पहचान पाते, जिससे इलाज में देरी होती है। ईसीजी मशीनें, प्रशिक्षित कर्मियों और परिवहन सुविधा की कमी के कारण गलत या अधूरा निदान होता है। इसके समाधान के लिए ‘यूपी स्टेमी केयर प्रोग्राम’में हब एंड स्पोक मॉडल (हब और स्पोक मॉडल) अपनाया गया है।
स्पोक यानी जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को इस योग्य बनाया गया है कि वे गोल्डन ऑवर के भीतर फाइब्रिनोलाइटिक थेरेपी (फाइ-ब्रिनो-लाइटिक थेरेपी) दे सकें। इसमें टेनेटेप्लेस (टे-नेक-टे-प्लेस) नामक दवा का प्रयोग किया जाएगा, जो एक शक्तिशाली खून का थक्का-नाशक दवा है। इलाज शुरू होने के बाद हब जैसे एसजीपीजीआई में मरीज को 3 से 24 घंटे के भीतर पर्क्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (पीसीआई) के लिए भेजा जाएगा।
तकनीक आधारित उपचार और टेलीमेडिसिन का उपयोग
इस योजना में टेली-ईसीजी ट्रांसमिशन (टे-ली ईसीजी ट्रांसमिशन) और टेलीमेडिसिन (टे-ली मे-डि-सिन) के माध्यम से प्राथमिक स्तर पर सही समय पर निदान और विशेषज्ञ सलाह उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही फार्माकोइनवेसिव स्ट्रैटेजी (फार्मा-को-इन-वेसिव रणनीति) को लागू किया जाएगा।
विशेषज्ञों और प्रशासन की प्रतिक्रिया
एसजीपीजीआई कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आदित्य कपूर ने कहा, “यह कार्यक्रम हृदय संबंधी रोकी जा सकने वाली मौतों को कम करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है। डॉ. अंकित साहू ने इसे संसाधन-विवश क्षेत्रों में समय-संवेदनशील देखभाल का मानक बताया। प्रमुख सचिव श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इसे डॉक्टर-सरकार साझेदारी का आदर्श उदाहरण कहा। एसजीपीजीआई के निदेशक पद्मश्री प्रो. आर.के. धीमन ने संस्थान की पूर्ण भागीदारी और समर्थन की पुष्टि की।